Saturday 22 October 2011

जानें: असली और सिंथेटिक दूध में क्या होता है अंतर

नई दिल्ली। त्यौहारों की वजह से अचानक बाजार में दूध, घी और मावा की डिमांड कई गुना बढ़ जाती है। यही डिमांड मिलावट को जन्म देती है। नकली दूध, घी और मावा बनानेवाले त्यौहारों के मौसम में हरकत में आ जाते हैं।
मिलावटी मावा और सिंथेटिक दूध पीने से आपको
जानें: असली और सिंथेटिक दूध में क्या होता है अंतर?
- फूड पॉयजनिंग हो सकती है।
- उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है।
- किडनी और लिवर पर भी बेहद बुरा असर पड़ता है।
- स्किन से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है।
- अधिक मात्रा में नकली मावे से बनी मिठाइ खाने से लीवर को भी नुकसान पहुंच सकता है।
- इससे कैंसर तक हो सकता है।
जहां तक दूध का सवाल है तो आप थोड़ा सजग रहकर असली और नकली दूध में फर्क कर सकते हैं
- सिंथेटिक दूध में साबुन जैसी गंध आती है, जबकि असली दूध में कुछ खास गंध नहीं आती।
- असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है।
- असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता, नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है
- अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो ये हल्के पीले रंग का ही होता है। वहीं अगर सिंथेटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो ये गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है
- अगर हम असली दूध को उबालें तो इसका रंग नहीं बदलता। वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है।
- असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। वहीं, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।
मिलावट का ये महाजाल त्यौहारों के मौसम में खासतौर से रचा जाता है। इस जाल में आपसे मिठाई, मावा, दूध पनीर और घी के पूरे पैसे तो लिए जाते हैं लेकिन इसके बदले आपको मिलती है बीमारी। इसलिए होशियार रहिए।